Thursday, December 30, 2010

जिन्दगी कों देखते तो थे
पर जिन्दगी जीना तुम से सीखा
जिन्दगी बड़ी है...सुना था
तुम से दूर हुए तो इस लम्बाई कों देखा
तुम पास हो ... तुम दूर हो फर्क नही पड़ता
तुम कों दिल मैं बसा दिल की गहराई कों देखा
तुम कों एक पल न सोचू तो लम्बा लगता है जीवन
पर इन्ही पलों मैं जीवन कों...जीना सीखा
सोचते थे दिल न दे पाएंगे किसी कों
दिल का खोना क्या है... तुम्हारे प्यार में सीखा
खोये रहते थे इसी दुनिया में
अपनी दुनिया मैं खोना क्या होता है...अब ये सीखा
मिले होंगे कई आशिक तुम कों
आशिक होना क्या होता है...अब ये सीखा
माना तुम न सुनोगी इन बातों कों
खुद से बातें करना क्या होता है... अब ये सीखा

कभी तुम रुसवा... कभी तुम खफा
किसी कों माना-ना क्या होता है...अब ये सीखा
अँधेरे मैं चीरती आई रौशनी इस जीवन में तुम
जिन्दगी रोशन कैसे होती है...अब ये सीखा

--

Wednesday, July 7, 2010